- इन्द्र्देव भारती
ओपन डोर पर ठप्पा था,
सरकारी स्वीकार का।।
वाह! क्या नाम स्वीकृत हुआ
साप्ताहिक अखबार का।।
सुनते ही दिमाग के-
दरवाजे खुलते गये।।
और असंख्य विचार-
मेरी सोच में घुलते गये।।
जेब से पैन निकल कर
एक हाथ में आया।
तो दूसरे हाथ ने-
एक कागज उठाया।।
कागज पर कलम-
शब्द धुनने लगा।
खुले दिमाग के-
खुले विचारों का
तना-बाना बुनने लगा।
मन ‘ओपन डोर’ के अंदर
बढ़ता जा रहा था।
भविश्य की कल्पनाओं का
घोड़ा दौड़ता जा रहा था।।
अपने हिन्दुस्तान का,
देश के विधान का,
मजदूर का, किसान का,
फौज के जवान का,
खेत-खलिहान का,
पेड़ों के कटान का,
बाग का, बागान का,
जमीन-आसमान का,
मंगल के यान का,
चाँद की उड़ान का,
छतरु की छान का,
मंगलू के मकान का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
दुखिया का, सुखिया का,
पधान का, मुखिया का,
सड़कों का, बटिया का,
नहरों का, नदिया का,
मुनवा का, मुनिया का,
झबरे का, झुनिया का,
बुद्धू का, बुधिया का,
राधू का, रधिया का,
छज्जू का, छमिया का,
रामू का, रमिया का,
रहमत का, रजिया का,
ऐन्थनी, ऐलिया का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
गीत की बहार का
गजलीया खुमार का,
कविताई ज्वार का,
मंच के बुखार का,
इल्मी होनहार का,
फिल्मी संसार का,
गर्मी की मार का,
सर्दी के वार का,
शेयर के बाजार का,
खेल जीत-हार का,
उछाल का, उतार का,
घाटे के व्यापार का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
आरक्षण का, समता का,
आन्दोलित जनता का,
अगड़ो का, पिछड़ो का,
रगड़ों का, झगड़ों का,
लव का, जिहाद का,
खुले आतंकवाद का,
दंगों का, फसाद का,
शहीदों की याद का,
जज का, वकील का,
अपील का, दलील का,
शासन, प्रशासन का,
निर्धन के राशन का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
बहुओं के जलने का,
बेटियों के खलने का,
बेटियाँ बचाने का,
बेटियाँ पढ़ाने का,
बेटी के दहेज का,
बेटी से गुरेज का,
बेटी बिन ब्याही का,
बेटी की सगाई का,
बेटी के माँ-बाप का,
बेटी लेना श्राप का,
बेटियों से रेप का,
रेप पर फिर लेप का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
दिल्ली की नीति का,
मानवीय प्रीति का,
वोट वाली चोट का,
नंबर दो के नोट का,
नेता का, नेतानी का,
कुर्सी की कहानी का,
भरे पेट वालों का,
भूखे सोने वालों का,
बे--रोजगार का,
तीज का, त्योहार का,
बारिश का, बाढ़ का,
बर्फीले पहाड़ का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
रामायनी संदेश का,
गीता के उपदेश का,
धर्म का अधर्म का,
मानवीय कर्म का,
बूढ़ों की लाचारी का,
मौसमी बिमारी का,
जुआरी का, मदारी का,
बैंक की उधारी का,
उखाड़ का, पछाड़ का,
झगड़ा छेड़-छाड़ का,
सास-बहू राड़ का,
घर के दो फाड़ का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
सपना राम-राज का,
गूंगों की आवाज का,
शहर और गाँव का,
लंगड़ों के पाँव का,
अनपढ़ के पैन का,
अन्धों के नैन का,
बाँसुरी की तान का,
बहरों के कान का,
तिरंगे की आन का,
खेल के मैदान का,
जीने का, मरने का,
अनशन का, धरने का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
पटवारी की मार का,
मोटे थानेदार का,
पुलिसिया रवैये का,
बलमा सिपहिये का,
कोरोना के कहर का,
गाँव का, शहर का,
अपनों को खोने का,
जवाँ लाश ढोने का,
रिश्तो में अलगाव का,
नित नये बदलाव का
राम का, रहमान का,
हिन्दू-मुसलमान का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
अनाथों के साये का,
खोने का, पाये का,
बस्तों के बोझ का,
किस्सा रोज-रोज का,
फीस बढ़ते जाने का,
बच्चों को पढ़ाने का,
झूँठ, अनाचार का,
सच की जयकार का,
बागबानी खेती का,
साहित्यिक डकैती का,
चंदे के धंधों का,
राजनैतिक नंगों का,
खुले दिमाग का खुला विचार है।
‘ओपन डोर’ इन्हीं-
सबका अखबार है।।
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